आज यानी की 28 सितंबर को खेल जगत के निशानेबाज अभिनव बिंद्रा अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं। अभिनव ने निशानेबाजी में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने साल 2008 में चाइना की धरती पर भारत के स्वर्णिम स्वप्न को साकार करने का काम किया। अभिनव ने पहली बार ओलंपिक खेलों के किसी भी इंडीविजुअल इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का परचम लहराया। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
उत्तराखंड के देहरादून में 28 सितंबर 1982 को अभिनव बिंद्रा का जन्म हुआ था। उन्होंने दो साल तक दून स्कूल में पढ़ाई की। स्कूली पढ़ाई के दौरान ही वह शूटिंग में दिलचस्पी पैदा हो गई। शूटिंग के प्रति अभिनव का जुनून देखकर उनके पेरेंट्स ने घर पर ही शूटिंग रेंज बनवाया, जिससे वह आसानी से प्रैक्टिस कर सकें। अभिनव ने बचपन से ही शूटिंग में हाथ आजमाना शुरूकर दिया था। जो आगे चलकर उनके कॅरियर के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
विश्व कप में हासिल किया कांस्य पदक
साल 1998 में महज 15 साल की उम्र में अभिनव बिंद्रा ने राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया था। उस दौरान वह सबसे कम उम्र के प्रतिभागी थे। भले ही अभिनव की उम्र कम थी, लेकिन वह जुनूनी थे। उन्होंने सबसे बड़ी सफलता तब प्राप्त की, जब साल 2001 के म्यूनिख विश्व कप में 597/600 के नए जूनियर विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। उस साल अभिनव बिंद्रा को राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया था।
सबसे कम उम्र के भारतीय खिलाड़ी
साल 2002 में जब अभिनव बिंद्रा ओलंपिक खेलों में पहुंचे, तो वह सबसे कम उम्र के भारतीय खिलाड़ी थे। उस दौरान उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। तब अभिनव ने क्वालिफिकेशन राउंड में 11वां स्थान हासिल किया। अभिनव बिंद्रा फाइनल में नहीं पहुंच सके, क्योंकि वह शीर्ष 10 से बाहर हो गए थे। अभिनव के कोच डॉ. अमित भट्टाचार्य थे, उन्होंने बचपन से लेकर बड़े होने तक कई सालों तक अभिनव बिंद्रा को निशानेबाजी के गुर सिखाए थे।
ओलंपिक में जीते स्वर्ण पदक
अभिनव बिंद्र ने साल 2002, 2006, 2010 और 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीते हैं। साल 2004 में उन्होंने एथेंस ओलंपिक में रिकॉर्ड बनाया था। लेकिन पदक जीतने से चूक गए थे। फिर साल 2008 में महज 26 साल की उम्र में अभिनव ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। उस दौरान अभिनव देश के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने व्यक्तिगत तौर पर गोल्ड मेडल जीते थे।
पद्म भूषण से सम्मानित
बता दें कि साल 2009 में अभिनव को पद्म भूषण से नवाजा गया। वहीं साल 2012 में वह लंदन ओलंपिक क्वालिफाई करने से चूक गए और साथ ही रियो ओलंपिक में भी कुछ अंको से पीछे रह जाने की वजह से अभिनव बिंद्रा कोई पदक नहीं जीत पाए।
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