स्पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, इस मिशन को साल 2027 में लॉन्च किए जाने की योजना है। रिपोर्ट के अनुसार, मिशन के जरिए ESA समझना चाहती है कि कोई सैटेलाइट कैसे टूटता है। अगर इसका पता चल पाता है तो भविष्य में सैटेलाइट्स को इस तरह से डिजाइन किया जा सकेगा कि धरती पर गलत तरह से री-एंट्री करने के बावजूद वह टूटेंगे नहीं।
ESA का मिशन यह जानने में भी मदद करेगा कि किसी स्पेसक्राफ्ट की धरती पर री-एंट्री से पर्यावरण को क्या असर होता है। स्पेसक्राफ्ट और उसके हिस्से हमारे वायुमंडल के साथ कैसे रिएक्ट करते हैं। उनकी वजह से कोई बायप्रोडक्ट तो नहीं बनता।
What is DRACO Spacecraft
DRACO स्पेसक्राफ्ट का साइज किसी वॉशिंग मशीन जितना होगा। वजन में 200 किलो के स्पेसक्राफ्ट को नॉर्मल स्पेसक्राफ्ट की तरह ही टूटने के लिए डिजाइन किया जाएगा। हालांकि इसमें 40 सेंटीमीटर का एक कैप्सूल लगाया जाएगा, जो सेफ रहेगा और सारा डेटा रिकॉर्ड करेगा। सैटेलाइट के टूटने के बाद कैप्सूल को पैराशूट की मदद से नीचे लाया जाएगा। इस दौरान DRACO स्पेसक्राफ्ट में लगे 4 कैमरे रिकॉर्ड करेंगे कि स्पेसक्राफ्ट कैसे टूटता है।
दुनियाभर के देश स्पेस में मिशन लॉन्च करते हैं। मिशन पूरा होने के बाद सैटेलाइट पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में भटकते रहते हैं और कई बार धरती पर री-एंट्री कर जाते हैं।
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