रिपोर्ट्स के अनुसार, फ्यूचर में जब एस्ट्रोनॉट्स लंबे समय के लिए चंद्रमा या दूसरी जगहों पर रहेंगे, तब कई तरह का कचरा वहां पैदा होगा जैसे- फूड पैकेजिंग का वेस्ट, एस्ट्रोनॉट्स के बेकार कपड़े, साइंस एक्सपेरिमेंट से जुड़े मटीरियल्स आदि। नासा चाहती है कि ऐसे कचरे से निपटने के लिए ऐसी तकनीक डेवलप की जाए, जो ज्यादा बिजली ना खर्च करे और इस्तेमाल में हल्की हो।
इसी को ध्यान में रखते हुए नासा ने नया कॉम्पिटिशन शुरू किया है। यह दो चीजों पर फोकस करता है। पहला- हार्डवेयर और दूसरे कॉम्पोनेंट्स का प्रोटोटाइप तैयार करना। दूसरा- पूरे रिसाइकल सिस्टम की वर्चुअल रेप्लिका तैयार करना। नासा को उम्मीद है कि दो तरीके देने से दुनियाभर से रिसर्चर इस कॉम्पिटिशन का हिस्सा बनेंगे।
इस पूरे चैलेंज के तीन प्रमुख एरिया हैं। लॉजिस्टिक्स को ट्रैक करना, एस्ट्रोनॉट्स के कपड़ों और अन्य कचरे का मैनेजमेंट करना। नासा चाहती है कि उसके कॉम्पिटिशन में बड़ी संख्या में भागीदारी हो।
नासा के फ्यूचर मिशनों की बात करें तो अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने आर्टिमिस मिशन को प्लान किया है। इसका मकसद एक बार फिर अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाना और वहां लंबे वक्त के लिए उन्हें रोकना है। चीन और रूस भी मिलकर चंद्रमा पर अपना मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। आने वाले वर्षों में दुनिया के कई और देश अपने मून मिशन लॉन्च कर सकते हैं।
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