Saturday, September 21, 2024
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Oral Care: दांतों के लिए Fluoride नहीं? – Viral News

Oral Care आपक Fluoride से बचने वाली बात कुछ उलटी मालूम पड़ रहीहोगी। अभी तक तो डाक्टर भी आपको दांतों के लिये फ्लोराइड ट्थ पेस्टोंका प्रयोग करने की सलाह देते रहे है। अखबार और रेडियों में भी नित्यनये-नये फ्लोराइड टूथ पेस्टों का विज्ञापन आप देखते और सुनते होंगे। फिरऐसा क्या हो गया, जो फ्लोराइड से बचने की बात एकाएक कहनी पड़रही है?

आपका यह सोचना भी एकदम ठीक है; लेकिन फ्लोराइड से बचने कीसलाह मेरी मन की उपज नहीं, बल्कि मेरे अनुभव की है। वास्तव में ‘फ्लोराइड’ मिले जलऔर फ्लोराइड टूथपेस्टों के प्रयोग से दंतक्षरण में कमी के बजाय प्रतिकूलताही अधिक आशंकित है। कभी-कभी तो फ्लोराइड दांतों को ही ले डूबता है।सिर्फ इतना ही नही, फ्लोराइड का हमारे शरीर के अन्य अंगों पर भी काफीबुरा असर पड़ता है। फ्लोराइड मिले जल के सेवन से हृदय पेशियों को भीक्षति पहुंचती है, एलर्जी हो सकती है और साथ ही अस्थियों की बनावट भी बिगड़ सकती है। बच्चों के रक्त में लाला और श्वेत कणिकाओं की संख्यामें परिवर्तन तो आम बात है

Fluoride क्या है?

Fluoride है क्या? इतना फ्लोराइड के बारे में लिखने के बादआपके मन में यह जिज्ञासा भी स्वाभाविक ही है। नमक एक क्लोराइड है,’सोडियम’ और ‘क्लोरीन’ गैस समूह की ही एक भयंकर गैस कायौगिक । इसी प्रकार क्लोरीन’। इसी के यौगिकों को ‘फ्लोराइड’ कहते है।पेयजल में ‘सोडियम फ्लोराइड’ मिलाया जाता है।यूँ तो सोडियम फ्लोराइड एक भयंकर विष है और इसकी अधिक मात्रा मृत्यु का कारण भी होती है लेकिन, पेयजल के दस लाख भाग में लगभग एक भाग सोडियम फ्लोराइड की मात्रा हमारे लिए हानिकारक नही है।

इस तरह काफी समय तक फ्लोराइड का बोलबाला रहा। जानवरों पर किये गये एक प्रयोग के दौरान उन्होंने पाया कि फ्लोराइड चटकी और टूटी-फूटी हड्डियों के जुड़ने में भी बाधा पहुँचाता है तथा अस्थि निर्माता तत्वों, फास्फोरस और कैल्सियम को निष्क्रिय कर देता है, जो काफी हद तक टी हड्डियों केजुड़ने में सहायक होते हैं। साथ शरीर में विद्यमान आयोडीन को भी यह विषाक्त कर देता है। थायरायड ग्रंथि के हार्मोन उत्पादन में भी कमी ला देता है।

कुछ फ्लोरीन के सम्बन्ध में

यहाँ फ्लोरीन के सम्बन्ध में संक्षेप में कह दें। कुछ क्षेत्रों, जैसेआंध्र प्रदेश, पंजाब में पीने के पानी में फ्लोरीन वाले पानी को लगातारपीते रहने से एक रोग होता है, जिसका नाम है ‘फ्लोरो लिमस’ । इसमें दांत के साथ-साथ हड्डियां प्रभावित होती है।इतना ही नहीं, चेहरे की विकृति के लिए भी यह जिम्मेदार होता है इसकी वजह से शक्ल मंगोलों जैसी हो जाती है साथ ही वह बुद्धि को भी कुन्द कर देता है।

जल में विद्यमान फ्लोराइड का केवल दसवां भाग ही वस्तुतः दांतों को प्रभावित करता है, बाकी आपके शरीर कोहानि पहुंचाने की ताक लगा रहता है। एक तो वायु-दूषण की वजह से समस्या बढ़ रही है और फिर इन टूथ पेस्टों और पेयजल में उपस्थित फ्लोराइड को और ग्रहण करना नितांत अज्ञानता ही है। मै पहले ही लिखआया हूं कि इनकी अधिक मात्रा शरीर के लिए हानिकारक और जान लेवा है।

क्या फ्लोराइड का प्रयोग बन्द कर देना चाहिए? मेरे ख्याल से इतना कुछ लिखने के बाद खुद ही सही उत्तर आप तलाश लेंगे। लेकिन एक समस्या जरूर है कि फ्लोराइड का विकल्प क्या है? यह तो मानना ही पड़ेगा कि दंत क्षय की रोकथाम के लिए फ्लोराइड काफी कारगर भी है।

इसके सम्बन्ध में हरी सब्जी खाने वाली बात में काफी वजन है। मेरी सलाह है कि बजाय फ्लोराइड के दंतरक्षण की रोकथाम के लिए ऐसे व्यंजनों के प्रयोग पर बल दिया जाना चाहिए जिनमें प्रोटीन, कैल्सियम, फासफोरस और विटामिन ‘ए’ और ‘बी’ की बहलताहो । हरी सब्जियां काफी हद तक दंत-क्षय को रोकती है।

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