बाजार नियामक सेबी ने वर्क कल्चर पर उठे सवाल को लेकर अपना बयान जारी किया है। टॉक्सिक वर्क कल्चर को लेकर लगे आरोपों के बीच सेबी ने नई सफाई पेश की है। सभी आरोपों को सेबी ने खारिज किया है। आधिकारिक सफाई पेश करते हुए सेबी ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने आरोप लगाए हैं वे बाहर के लोगों से मिस गाइड हो रहे हैं।
इस मामले पर बुधवार दिए शाम को सेबी ने बयान जारी कर कहा कि एचआरए और टॉक्सिक वर्क कल्चर को लेकर कर्मचारियों ने जो शिकायतें की है वो बाहर के लोगों के झांसे में आकर की गई है। इस तरह की नकारात्मक बातों का उद्देश्य है की सेबी की विश्वसनीयता पर संदेह किया जा सके। हालांकि सेबी ने कहा कि बाजार के जटिल इकोसिस्टम कि उच्च पारदर्शिता के साथ निगरानी करने के लिए संस्थान प्रतिबद्ध है।
सेबी का यह बयान उन खबरों के बीच आया है जिसमें कहा गया है कि नियामकीय संस्था के कर्मचारियों ने सरकार को पत्र लिखकर टॉक्सिक वर्क कल्चर पर चिंता व्यक्त की है। सेबी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि छह अगस्त, 2024 के इस पत्र में गैर-पेशेवर कार्य संस्कृति होने के संबंध में किए गए दावे गलत हैं। इसके साथ ही सेबी ने ये संदेह भी व्यक्त किया कि उसके अधिकारियों को बाहरी तत्वों से संदेश मिल रहे है। जिनके दिशा निर्देश अनुसार उन्हें ‘मीडिया, मंत्रालय या बोर्ड में जाने’ के लिए उकसाया जा रहा है।
उसका मानना है कि बाहरी लोग संभवतः अपने एजेंडा के लिए ऐसा कर रहे हैं। सेबी ने कहा, ‘‘हमें आशंका है कि कनिष्ठ अधिकारियों को बाहरी तत्वों से संदेश मिल रहे हैं, जो उन्हें ‘मीडिया में जाने, मंत्रालय में जाने, बोर्ड में जाने’ के लिए उकसा रहे हैं और बाहरी तत्व शायद अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ऐसा कर रहे हैं। असल में छह अगस्त, 2024 का पत्र सेबी कर्मचारी संघों ने सरकार (और मीडिया के एक वर्ग) को नहीं भेजा था।’’ बाजार नियामक ने कहा कि यह एक गुमनाम ईमेल के रूप में भेजा गया था।अधिकारियों और कर्मचारी संघों ने खुद इसकी निंदा करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ईमेल के जरिये इसकी जानकारी दी है।
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