स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचे रहने के लिए घर के हर कोने को साफ-सुथरा और हाइजीनिक होना चाहिए। घर की सफाई के साथ ही बाथरूम की साफ-सफाई और हाइजीन का खास ख्याल रखना चाहिए। अधिकतर लोग टॉयलेट सीट पर बैठकर फ्लश करते हैं और टॉयलेट का ढक्कन ऐसे ही खुला छोड़ देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी यह आदतें आपको बीमार कर सकती हैं।
ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से टॉयलेट में फ्लश करना चाहिए। क्योंकि टॉयलेट फ्लश करने के बाद बनी धुंध E. coli और नोरोवायरस जैसी गंभीर बीमारियां फैला सकती हैं। ऐसे में आप थोड़ी सी सावधानी बरतकर खुद को इन खतरनाक रोगाणुओं से बचा सकते हैं।
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बाथरूम के कण
बता दें कि टॉयलेट फ्लश करने के दौरान एक अदृश्य धुंध हवा में फैल जाती है। जिसको ‘टॉयलेट प्लूम’ के नाम से जाना जाता है। यह बेहद सूक्ष्म बूंदों से बना होता है और इसमें वायरल व बैक्टीरिया जैसे रोगाणु हो सकते हैं, जो बाथरूम में फैल सकते हैं। यहां तक की टॉयलेट प्लूम टूथब्रश जैसी सतहों पर भी बैठ सकते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं।
बीमार व्यक्ति का मल
अगर घर में कोई व्यक्ति बीमार है, तो उसका मल-मूत्र या उल्टी में खतरनाक रोगाणु हो सकते हैं। जिससे स्वास्थ्य को अधिक खतरा रहता है। यह ऐसे कण हैं, जिनको आप अपनी खुली आंखों से नहीं देख सकते हैं।
तौलिया और ब्रश
बाथरूम के कण फर्श, टूथब्रश या फिर तौलिए की सतहों पर भी चिपक सकते हैं। क्योंकि फ्लश करने के सिर्फ आठ सेकंड के भीतर हवा में यह कण करीब 5 फी ऊपर तक उठ सकते हैं। वहीं यह एक औसत वयस्त के नाक और मुंह की ऊंचाई तक भी आ सकते हैं।
गंभीर बीमारियों का खतरा
शोध से पता चलता है कि शौचालय के प्लम बैक्टीरिया और वायरस फैला सकते हैं, जिनमें ई. कोलाई, नोरोवायरस और यहां तक कि कोरोनावायरस भी शामिल हैं।
इन बातों का रखें खास ख्याल
बता दें कि टॉयलेट की सतहों को रोजाना साफ और कीटाणुरहित रखना चाहिए। वहीं आप चाहें तो टॉयलेट सीट कवर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा बाथरूम में वेंटिलेशन की सुविधा सुनिश्चित करें और फ्रेश होने के बाद ढक्कन को बंद करना न भूलें।
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